श्री अरविन्द इण्टर कॉलेज, पुरा - मुजफ्फरनगर

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प्रधानाचार्य की कलम से ...

क्षितिज कुमार मिश्रा

प्रधानाचार्य

श्री अरविन्द इण्टर कॉलेज,

पुरा – मुजफ्फरनगर

देश के भविष्य की आधारशिला देश के बालक होते हैं। आज का बालक भावी राष्ट्र का निर्माता है। यह देश की अमूल्य निधि है। उनके प्रगति पथ का निर्धारण करना एवं राष्ट्र की सेवा के लिए उन्हें तैयार करना प्रत्येक शिक्षक का नैतिक कर्त्तव्य है। आज भारतीय समाज की परिस्थितियों एवं मूल्यों में आमूल-चूल परिवर्तन हो चुका है। बदलती परिस्थितियों  एव कोरोना संकट के कारण छात्र / छात्राओं में आत्म विश्वास, नैतिक मूल्य, साहस, संघर्ष, धैर्य व त्याग जैसे सफलता के मूलगुण तिरोहित हो चुके हैं। ऐसी विषम परिस्थिति में हमें अपनी कार्यकुशलता, योग्यता, ईमानदारी एवं परिश्रम से सफलता के मूल गुणों को जीवन में अपनाने की प्रेरणा प्रदान कर समाज एवं राष्ट्र को स्वस्थ दिशा देनी होगी।
आज का युग प्रतिस्पर्धा का युग है। हमें स्वयं में विश्वास जागृत कर अपनी क्षमता पहचान कर उन्नति के मार्ग पर सकारात्मक सोच के साथ अग्रसर होने की आवश्यकता है। आत्मविश्वास एवं कठिन परिश्रम ही सफलता का मूल मंत्र है। इतिहास साक्षी है, सफलता अथवा विजय किसी को पारितोषिक के रूप में कभी भी नहीं मिली है। ‘‘कर्मण्एयेवाधिकारस्ते’’ अथवा कर्म प्रधान विश्व करि राखा ही वह मूल मंत्र है जिससे लक्ष्य को आसानी से हासिल किया जा सकता है।

 

विद्यार्थी के लक्ष्य की प्राप्ति में शिक्षक की महत्वपूर्ण भूमिका होतीहै। शिक्षक वह मशाल है जो स्वयं जलकर दूसरों को प्रकाश देने का कार्य करता है। राष्ट्र निर्माता होने के कारण शिक्षक का कार्य अत्यन्त जटिल है। हमारे शिक्षक समाज में नैतिक उत्तरदायित्व का निर्वहन करते हुए नित नूतन उ्दभावनाओं से ओत-प्रोत हो। शिक्षण गुणवत्ता में उत्तरोत्तर वृद्धि करना ही विद्यालयी व्यवस्था का प्रथम लक्ष्य है। सफलता, अनुशासन सतत् प्रयास एवं कठोर परिश्रम का पुरस्कार होती है। अनुशासनशील प्राणी अपने लक्ष्य एवं उद्देश्यों की प्राप्ति सुगमता से करता है। मैं अपने विद्यालय के छात्र / छात्राओं से आशा करता हूँ कि वे अर्जुन की भाँति लक्ष्य का संधान करें तथा सर्वांगीण विकास कर ग्राम नगर समाज एवंराष्ट्र के उत्थान एवं उन्नति में सहभागी बनकर राष्ट्र निर्माण में सहयोग दें। समय की महत्ता पहचानें। बीता हुआ समय कभी वापस नहीं आता, साथ ही समय कभी किसी का इन्तजार नहीं करता। समय के सदुपयोग का संकल्प लेकर ही हम अपनी मंजिल पा सकेंगे।

बालकों की प्रथम पाठशाला घर-परिवार होती है, तद्नरूप इनके सर्वांगीण विकास में विद्यालय के साथ घर परिवार की भी महती भूमिका होती है। अभिभावक बन्धुओं से विशेष आग्रह है कि वह अपने पाल्यों को नकारात्मक दिशा में अग्रसर होने से रोकें और उनकी गतिविधियों पर पैनी नजर रखें, ताकि आपके स्वप्निल कामनाओं को साकार रूप प्रदान करने में संलग्न विद्यालय परिवार निर्बाध गति से कार्य कर सके। सकारात्मक सोच, मेहनत,समय प्रबन्धन, खान-पान, रहन-सहन में संयम आदि पर विशेष ध्यान देते हुए विद्यार्थियों के भविष्य को स्वर्णिम बनाने में सहयोग प्रदान करें।
अन्त में मैं विद्वान अध्यापक एवं कर्मचारियों का आभार व्यक्त करता हूँ क्योंकि सभी अपने-अपने उत्तरदायित्वों का निर्वहन करते हुए विद्यालय की छवि को निखारने व प्रगति का मार्ग प्रशस्त करने में एक सूत्र में बंधकर शिक्षा के विकास में अथक परिश्रम कर रहे हैं। सबके अप्रतीम योगदान एवं उत्कृष्ट शिक्षण का ही परिणाम है कि विद्यालय आज सभी क्षेत्रों में सर्वोत्कृष्ट प्रदर्शन कर रहा है। इसके लिए सभी बधाई के पात्रा हैं।

मेरी मंगल कामना है कि विद्यालय शैक्षिक एवं शिक्षणेत्तर गतिविधियों में श्रेष्ठ प्रदर्शन कर प्रतिस्पर्धा के इस युग में अपनी गुणवत्ता बनाये रखेगा। 

‘‘विद्या ददाति विनयम् ’’ की शुभ कामनाओं के साथ ..

सन्देश

नरेश चन्द त्यागी 

मैनेजर 

श्री अरविन्द इण्टर कॉलेज,

पुरा – मुजफ्फरनगर

विद्यालय परिवार के लिए यह हर्ष का विषय है कि अपने विद्यालय की वेबसाइट का निर्माण होने जा रहा है। वेबसाइटमें विद्यालय की महान उपलब्धियों के साथसाथ क्षेत्र की झलक तो होगी ही तद्नरूप इसमें रुचि पूर्ण सामग्री अवश्य होगी, जिससे छात्र /छात्राओं का भारतीय संस्कृति, परम्परा, साहित्य एवं राष्ट्र के प्रति प्रेम व सम्मान बढ़ेगा।

विद्यालय वेबसाइट के माध्यम से विद्यालय परिवार एक वृहत्तर समाज के सम्मुख अपनी उपलब्धियों एवं चिन्तन को भी प्रस्तुत करता है। आशा है कि वेबसाइट में प्रकाशित सामग्री से हमारा परिवार गौरवान्वित  होगा। वेबसाइट के सफल निर्माण  हेतु विद्यालय परिवार को मेरी शुभकामनाऐं ..

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विद्यालय का गौरवमयी इतिहास

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जनपद के शाहपुर ब्लॉक में पुरा ग्राम में ज्ञान की ज्योति प्रकाशित कर अज्ञान के अन्धकार को समाप्त करने के लिए गाँव की ही एक पवित्र आत्मा स्वतंत्रा संग्राम  सैनानी विधायक शुगन चन्द त्यागी एवं ग्रामवासियों के अथक प्रयास के फलस्वरूप 1949 ई0 में अशिक्षा दूर करने के दृढ़ संकल्प के साथ जिला परिषद के अन्तर्गत कक्षा 8 तक के जूनियर स्कूल की स्थापना हुई। जिसके प्रथम प्रधानाचार्य श्री मलखान सिंह थे जिनके संरक्षण और निर्देशन तथा विद्यालय के अध्यापकों के कठिन परिश्रम का ही परिणाम था कि विद्यालय की छवि पूरे जिले में सराहनीय थी और इस विद्यालय के छात्रों/छात्राओं को लेने के लिए प्रत्येक माध्यमिक विद्यालय तत्पर रहते थे।

विद्यालय में संसाधन एवं सुविधाऐं

विद्यालय में प्रबन्धक कक्ष, प्रधानाचार्य कक्ष, अध्यापक कक्ष, लिपिक कार्यालय, परीक्षा कक्ष, दो हॉल, पुस्तकालय, 17 शिक्षण कक्ष, चार प्रयोगशालाएं (जीव विज्ञान, रसायन विज्ञान, भौतिक विज्ञान एवं कम्प्यूटर) क्रीड़ा कक्ष से परिपूर्ण विद्यालय का विशाल भवन प्राकृतिक वातावरण को रमणीय बनाने वाले फूल-पौधों से युक्त हरे-भरे दो लॉन विद्यालय को समृद्धि एवं शोभायमान कर रहे हैं। विद्यालय में शौचालय की उत्तम व्यवस्था है।

विद्यालय में आयोजित प्रतियोगी परीक्षाऐं

विद्यालय में गुणात्मक अध्ययन- अध्यापन के साथ बालकों को सर्वांगीण विकास करने और मौलिक विचारों को तथा छुपी हुई प्रतिभा को बाहर लाने के उद्देश्य से शिक्षा सम्बन्धी विभिन्न प्रतियोगिताऐं समय-समय पर आयोजित की जाती हैं। छात्रा/छात्राओं की मौलिक प्रतिभा को पोषित करने के लिए कला प्रतियोगिता, सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता, वाद-विवाद प्रतियोगिता, निबन्ध प्रतियोगिता, एवं भारतीय संस्कृत ज्ञान प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है।

पुस्तकालय एवं वाचनालय

सदा से ही पुस्तकें बालकों का सर्वोत्तम मित्र रही हैं, जिनको पढ़ने से बालकों का न केवल मानसिक विकास होता है बल्कि उनका ज्ञान भी अद्यतन होता है। पुस्तकालय एवं वाचनालय विद्यालय के अध्ययन/अध्यापन की धुरी होते हैं, जिसमें बैठने से समय का सदुपयोग होता है और ज्ञान में वृद्धि। इसी को ध्यान में रखकर हमारे विद्यालय में  विभिन्न प्रकार की लगभग 5000 पुस्तकों से सुसज्जित भव्य पुस्तकालय है, जहाँ छात्र/छात्राऐं पुस्तकों द्वारा ज्ञान में वृद्धि करते हैं। प्रतियोगी पत्र-पत्रिकाऐं हिन्दी एवं अंग्रेजी के समाचार पत्र, रोजगार समाचार पत्र नियमित रूप से आते हैं। विद्यालय के विद्वान शिक्षक कपिल देव पुस्तकालय अध्यक्ष के रूप में लगन से कार्यभार देख रहे हैैं।